मांगल रियासत के प्रसिद्ध देवता श्री बाडू बाडा देव की कहानी

History of Badu Bada dev

सुकेत के इतिहासकारों के अनुसार सुकेत का प्रथम पराक्रमी राजा था Badu bada dev अपनी वीरता तथा पश्चिमी हिमालया के अनेक ठाकुरो -राणो को हराने के कारण मृतयूपरांत इसे देवता के रुप मे मान्यता मिली। मांगल रियासत के सेंन शासको द्वारा देवता को “दादू” कहकर पुकारा जाता हैं । बाडू बाडा देवता का मूल स्थान मांगल क्षेत्र के बेरल गाव के पास सतलूज नदी से लगभग 3 कि.मी की दुरी पर एक ऊँची पहाड़ी के मध्या “बाडू” न्माक गाव मे स्थित हैं।

8th शाताबदी मे वीर सेन(बाडू बाड़ा devta) ने ज्यूरी फेरी के पास सतलूज को पार किया।अपनी सेना के साथ उसने दूर दराज के क्षेत्रो पर धावा किया। तातकालिन राणे तथा ठाकुरो के परस्पर इर्षय़ा भाव के कारन युधो मे सफलता प्राप्त की उसने करोली केठाकुर ,नागर के ठाकुर ,चिराग के ठाकुर जो बातल तथा थाना मे शाशंन् करते थे औरउदय्पुर के चिनिन्दी ठाकुरो पर विजय प्राप्त की।राजा सान्यतो,खूननु के ठाकुर कोभी अपने अधीन किया। उसने थाना कुजन,कोटी ड़ेहर,नद,जन्ज,सालालू,बेलू और मागरा के क्षेत्रो को भी जीता । वीर सेन ने कई किले जीते ज़िंनके नाम हैं: श्रीगड, नारायणगढ, रघूपूर, जन्ज, मधोपुर, बंगा, चंजयाला, मगरू, मांनगढ़, तुंग, जालोरी, हीमरी, रायगड, फतेहपूर, बमथज़, कोट मानाली, रायसन, गौडा आदि !

कुल्लू को फतेह करने के बाद वीरसेंन ने पंडोह,नाचती,चिडीहा,जुराहंदी,सतगढ़,नदगड और पूरी किलो पर अधिकार करलिया।हटली के राजा को युध मे हरा कर वीर सेन ने वीरकोट नामक किला बनाया ज़िसे आज भी “वीहर कोट’कहा जाता हैं। बहुत बडे राज्य का निर्माण करके अपने परिवार को एक खूननुधार मे महल बनाकर भेज दिया।

इसके पश्चात वीर सेन ने सर खड के किनारे “वीरा “के नाम से एक किला बनाकर कांगडा के साथ सीमा का निरधारन किया !चंबा के राजा लक्ष्मी वर्मन जिनको मार दिया गया था और उनके साम्राज्य भरमौर पर जनजाति ने कब्जा कर रखा था रानी अपने पुत्र मुशाना varman के साथ अपनी पहचान छुपा कर pangna मे नौकरानी बन कर रह रहीं थीं जब वीर सेन को सच का पता लगा तो  उसकी सेना ने भरमौर की तरफ कूच किया भरमौर जीत कर वापिस राजा musha वर्मन को राज् पाठ दिया अपनी पुत्री का विवाह राजा मुशायरों varman से कराया और pangna की jagir दी।राजा वीर सेन ने कुल्लू राजा भुप्पाल को भी हराय़ा और फिर मुक्त क्र दिया।

मांगल राजपरिवार का वंश पांडव सेन हैं,1240 मे बटवाडा का राजा मंगल चन्द सेन प्रथम था उसने कह्लूर बिलासपुर के चंदेल राजा मेघ चन्द के साथ राजनेतिक गठजोड़ हुआ जिस से गुस्सा होकर सुकेत के राजा मदन सेन (golden period of suket) ने उसकौ सूकेत के बटवाडा से बाहर कर दिया ।फिर बाद मे कह्लूर की मदद से दुबारा बटवाडा जित लिया ।

17th शताब्दी मे गुलेर के राजा मान चंद गुल्लेरिया ने राजा श्याम सेन सुकेत के साथ बटवाडा के राजा मंगल चंद सेन द्वित्या को मार दिया।राजा मगल चन्द का भाई कुंवर टीटो भी मिला हुआ था | वेसे राजा मान चंद गुलेरीया सुकेत राजा श्याम सेन और राजा सूरज सेन मण्डी के आपस के झगडे को सुलझाने आया था!पर उसी समय राजा मंगल चंद द्वित्या की अकड को खत्म करने के लिये उसपर हमला करदिया और मार दिया! 

तब रानी batwara अपने 6 महिने के टिक्का और मानगते,कुल पुरोहितो के साथ भागी कई दिन तक गुफ़ा मे छुप कर जान बचाई !लेकिन सुकेत और गुलेर की सेना ने पकड लिया मांगती ने अपने बच्चे को ये बोल कर सौंप दिया कि ये टिक्का हैं और टिक्का को ढोल में छुपा दिया ‘/सेना ने टिक्का समझ बच्चे को मार दिया और सेना वापिस चली गई! बिलासपुर के चंदेल राजा तारा चंद जो की राजा मंगल चंद द्वित्या का साड़ु भाई लगता था उसने अपनी सेना को भेजा और रानी बटवाडा को सतलुज पार करवाई :राजा तारा चंद ने एक क्षेत्र को राजा मंगल चंद के पुत्र को दिया बाद मे तारा चंद के पुत्र बिलासपुर चंदेल राजा डीप चंद ने टिक्का रघुनाथ चंद सेन बडा हो चुका था उसका राजतिलक किया और उससे पुछा कि इस रियासत का क्या नाम रखना टिक्का रघुनाथ चंद बोला पिता जी के नाम पर मांगल और कंदरा(गुफ़ा) में हमारी रक्षा हूइ इसलिये राज़धानी का नाम कंदरा रखा जो अब कन्धर हो चुका ।

श्री मंगल को क्योंकी सतलूज के पार राजा सुकेत और राजा मान चन्द गुलेरिए ने मारा था ।अत मांगल के राजवश ने अपने पूर्वज के नाम पर यहां देवरे की स्थापना की।परमपरा हैं कि “बाडू बाडा “की सबसे पहली य़ात्रा सतलूज को लानघर मांगल मे होती हैं। बाडूबाडा हिमाचल मे मंडी , बिलास्पुर, सोलन,आदि क्षेत्रो मे पूजा जाता हैं

अपने वीर अभीयानो, परक्रम, दिव्यता और प्रजा प्रेम के कारण राजा वीर सेन् को देवता का स्थान मिला ।बाडू बाडा के साथ कुल्लू riyasat की राजदेवी मा हाड़ीमबा और बुशार riyasat की राजदेवी मा भीमाकाली चलती हैं। बीर भंघाल का राजा आजयपल इनका सेनापती था वोअब चांजयाला नाम से जाना जाताहैं और साथ हैं । चांजयाला देव रुप मे मांगाल के शुई मे प्रकट हुआ हैं aise kyi ke गण hain devta ke ।

Reference: According to the King of Mangal State

Final word

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