Dev Bala Tikka Halel, Suket

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देवता का मंदिर सुकेत रियासत की सीमा के साथ लगता है। इस मंदिर की कुछ दूरी पर सुंदरनगर और मंडी रियासत की सीमा है, देवता को बड़ा देव कमरूनाग का पुत्र माना जाता है। देवता का रूप एक बालक का है। देवता को बीजू बाला कामेश्वर के रूप में जाना जाता है। 

History of Dev Bala Tikka Halel

देव कमरूनाग को मंडी एवं सुकेत रियासत का राजा कहा जाता है और राजा के पुत्रों को टिक्का के रूप में जाना जाता है, इसलिए देवता को बाला टिक्का के नाम से पुकारा जाता है। पूरे प्रदेश में यह केवल दो ऐसे देवता हैं, जिसके पूरे मस्तक पर हल्दी युक्त औषधि का लेप लगा होता है। इसमें एक देवता मंडी रियासत में मौजूद है वहीं दूसरा Dev Bala Tikka Halel हैं। इस हल्दीयुक्त लेप को भाठी कहा जाता है। एक बार देवता अपने गुरू से गुरुदीक्षा लेकर अपने पिता के पास वापस जा रहा था, तब रास्ते में देवता गिर गए और देवता के मस्तक पर चोट आ गई,

इस चोट से खून निकलने लगा उस खून को देवता ने अपने सारे मस्तक पर लेप कर दिया तब से देवता के मस्तक की चोट को ठीक करने के लिए हल्दी चंदन और अन्य जड़ी-बूटियों युक्त लेप बना कर लगाया जाता है, जिसे भाठी कहा जाता है। इस चोट का निशान देवता के मुख्य मुख पर आज भी हैं और पुजारी इस जख्म को कम करने के लिए प्रतिदिन देवता को भाठी लगाते हैं इस देवता के मुख को बीज की पेड़ी में रखा जाता है। बीज की पेड़ी में रखने के कारण देवता को बीजू के नाम से भी जाना जाता है। देवता के पुरात्तन मुख को केवल पुजारी और मुख्य कारदार को देखने की आज्ञा है।

देवता का यह मुख देवता के भंडार की एक पुरात्तन कोठड़ में सुरक्षित रखा गया है। देवता को 18 व्याधि का भंडारी और पारखी ज्योतिषी माना जाता है। देवता के पास जिस किसी भी मांगलिक लड़का या लड़की शादि नहीं हो रही हो उसे भी यह देवता जुड़वाता है और देवता के द्वारा निसंतान दंपत्तियों को संतान की प्राप्ति होती है, परंतु उस दंपत्ति और उसकी संतान को देवता के बताए गए नियमों के अनुसार ही चलना पड़ता है।

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Naman

not a professional historian or writer, but I actively read books, news, and magazines to enhance my article writing skills

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