Tundi Veer Saldha Mandi Himanchal Pradesh

Naman Sharma Published date: June 30, 2025
image of tundi veer devta

देव श्री टुण्डी वीर Tundi Veer जी का मन्दिर व मुलस्थान शादला नामक गांव में स्थित है। देवता को मंडी रियासत के पुरातन देवों में से एक माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवता का नाम टुण्डी वीर इस लिए पड़ा क्योंकि जब देवता एक बार हार पासा खलने के लिए डायना बाड में डायनो से युद्ध लड़ रहे थे तब इनकी एक उंगली टूट गई थी जिस कारण इनका नाम टुण्डी वीर पड़ा।

History of Tundi Veer Saldha

माना जाता है जब देव बुढा पिंगल ऋषि एवं पराशर ऋषि पृथ्वी भ्रमण पर निकले तब देवता श्री टुण्डी वीर जी ने अपना स्थान त्याग कर देव बुढा पिंगल जी को दे दिया तथा स्वयं उनके वजीर के रूप मे कार्यमार समाला। देवता श्री टुण्डी वीर जी को ठारह कंरडू व चार कुंठ का वजीर भी माना जाता है। देवता के पौराणिक गायाओं में से एक के अनुसार माना जाता है

की जव एक डायन तुंगल क्षेत्र तबाही मचा के की ओर बढ़ रही तब देवता ने बिजनी नामक क्षेत्र मे उससे युद कर उसे लाल पत्थर के रूप मे बदल दिया था। जिसे आज भी बिजनी में व्यास नदी के किनारे देखा जा सकता है। माना जाता है एक बार जब एक

सरायल (विशाल सांप) ने इनके क्षेत्र में आकर बहुत से किसानों, बैलों को खा लिया था तब देवता ने शुक्ष्म ने किसान के रूप में आकर उस सरायल के पेट मे जाकर उसके दो टुकड़े कर दिए थे। माना जाता है कि देवता की उत्पत्ति युगों के प्रारंभ में हुई थी । देवता श्री टुंडी वीर जी के मंदिर में देवता जहल तथा बनसिरा उनके सेवक के रूप में विराजमान है

देवता के साथ जोगनियो का भी वास है तथा देवता श्री टुंडी वीर जी की पवित्र झील (सरोवर) भी उनके मंदिर के साथ ही है। देवता नीले घोड़े की सवारी करते है तथा देवता को बूढ़ा बिंगल के 18 पुत्रो का भी वज़ीर भी माना जाता है देवता का मंडी रियासत को राजदरबार में भी स्थान प्राप्त है। तथा मंडी शिवरात्रि की शाही जालेब का भी हिस्सा रहते है।

Reference

  1. Dev Gatha of Mandi State

Naman Sharma

not a professional historian or writer, but I actively read books, news, and magazines to enhance my article writing skills

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