Baba Bhootnath मंडी शहर के अधिष्ठाता हैं। इस मंदिर की स्थापना के साथ ही आधुनिक मंडी शहर की स्थापना भी हुई है। अंतर्राष्ट्रीय मंडी शिवरात्रि महोत्सव की शुरूआत भी बाबा भूतनाथ के मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ ही होती है। भूतनाथ मंदिर की स्थापना मंडी नगर की स्थापना करने वाले राजा अजबर सेन के शासनकाल 1527 ई. के दौरान हुई है। पाषाण शिखर शैली का यह मंदिर अद्भुत कारीगरी का नमूना है। पत्थरों पर की गई नक्काशी उन अनाम कलाकारों के कलाकौशल को बयां करती है, जिन्होंने उस दौर में इस भव्य मंदिर के निर्माण में अपना योगदान दिया।
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History of Baba Bhootnath in Hindi
मंडी का भूतनाथ मंदिर जहां बना है, वहां पर चरागाह थी और चरवाहे वहां पर अपने पशु चराया करते थे। एक किसान को लगा कि उसकी गाय दूध नहीं दे रही है। उसने गाय की निगरानी करनी शुरू कर दी। एक दिन किसान ने देखा की गाय का दूध धरती पर स्वयं ही गिर रहा है। किसान यह देखकर आश्चर्यचकित रह गया। इस बात का पता राजा अजबरसेन को भी चल गया। राजा को एक दिन स्वप्र हुआ कि उस जगह पर शिवलिंग है। उस जगह की खोदाई करवाने पर स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हुआ। अजबर सेन ने उसी स्थान पर शिवलिंग की स्थापना कर दी। जहां पर उन्होंने बाद में भव्य मंदिर का निर्माण किया। वहीं पर वे बोहली पुरानी मंडी से अपनी राजधानी भी ब्यास नदी के इस पार ले आए। यह क्षेत्र कैहनवाल और गंधर्व के राणाओं के अधिकार क्षेत्र में था। नई राजधानी बसाने के लिए अजबर सेन ने कैहनवाल और गंधर्व के राणाओं को पराजित कर इस क्षेत्र पर अधिकार किया और आधुनिक मंडी नगर की स्थापना की।
Special worship is performed on Shivratri
बाबा भूतनाथ के मंदिर में शिवरात्रि के अवसर पर विशेष पूजा का आयोजन होता है। शिवरात्रि के दिन मेला कमेटी के अध्यक्ष यहां पर पूजा करने आते हैं। जबकि मेले की अंतिम जलेब के दौरान प्रदेश के राज्यपाल भूतनाथ मंदिर में पूजा करते हैं। शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने वालों की भारी भीड़ उमड़ पड़ती है। शिवरात्रि के दिन भूतनाथ मंदिर के प्रांगण में विशाल अलाव जलाया जाता है। भूतनाथ के मंदिर में विशाल ढोल है, जिसे इस दौरान बजाया जाता है। मंदिर के प्रांगण में पत्थर से बने विशालकाय नंदी मौजूद हैं। भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग की ओर से भूतनाथ मंदिर के पुरातन स्वरूप को बहाल करने के लिए यहां पर लगे पेंट को हटा दिया गया है। अब यह मंदिर अपने वास्तविक स्वरूप में श्रद्धालुओं और शोधार्थियों को आकर्षित करता है।
Bhootnath mandir Festival and Fair
यहां का अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव बिना बाबा भूतनाथ की पूजा अर्चना के शुरू नहीं होता। देवभूमि हिमाचल प्रदेश के केंद्र में बसा है शहर और इस शहर को छोटी काशी के नाम से जाना जाता है। इस शहर के बीचों बीच स्थित है बाबा भूतनाथ का मंदिर। बाबा भूतनाथ को शहर के अधिष्ठाता के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर की स्थापना के साथ ही आधुनिक शहर की स्थापना भी हुई है। भूतनाथ मंदिर की स्थापना राजा अजबर सेन के शासनकाल में सन 1527 के दौरान हुई है। पाषाण शिखर शैली का यह मंदिर अद्भुत कारीगरी का नमूना है। पत्थरों पर की गई नक्काशी उन अनामकलाकारों के कलाकौशल को बयां करती है जिन्होंने उस दौर में इस भव्य मंदिर के निर्माण में अपना योगदान दिया।
Conclusion
दंत कथा के अनुसार भूतनाथ मंदिर जहां बना है वहां पर चरागाह थी और चरवाहे वहां पर अपने पशु चराया करते थे। एक किसान को लगा कि उसकी गाय दूध नहीं दे रही है। उसने गाय की निगरानी करनी शुरू कर दी। एक दिन किसान ने देखा की गाय का दूध धरती पर स्वयं ही गिर रहा है। किसान यह देखकर आश्चर्यचकित रह गया। इस बात का पता राजा अजबरसेन को भी चल गया। राजा को एक दिन स्वप्न हुआ कि उस जगह पर शिवलिंग है। उस जगह की खुदाई करवाने पर स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हुआ। अजबर सेन ने उसी स्थान पर मंदिर की स्थापना कर दी। जहां पर उन्होंने बाद में भव्य मंदिर का निर्माण किया। वहीं पर वे बटोहली पुरानी मंडी से अपनी राजधानी भी ब्यास नदी के इस पार ले आए। यह क्षेत्र कैहनवाल और गंर्धव के राणाओं के अधिकार क्षेत्र में था। नई राजधानी बसाने के लिए अजबर सेन ने कैहनवाल और गंर्धव के राणाओं को पराजित कर इस क्षेत्र पर अधिकार किया और आधुनिक नगर की स्थापना की।