श्रीयुत देव चण्डोही ( dev chandohi ganpati ji )

Naman Sharma Published date: March 18, 2025
dev chandohi ganpati ji

सनोर घाटी के भटवाड़ी गांव में तहसील औट के अंतर्गत देवता का प्राचीन मंदिर अवस्थित है। जिला मुख्यालय से लगभग 63 कि.मी. दूर इस मंदिर के लिए सड़क मार्ग की सुविधा है। गण भारया (कथा) के अनुसार देवता का प्राकट्य भटवाड़ी के समीप ओडीधार में हुआ था और एक ब्राह्मण को देव मुख धरती से प्रकट हुआ मिला था। प्राचीन काल में वहां बना गड्ढा आज तक भर नहीं सका है। कथा के अनुसार मदैणी कुल का वह ब्राह्मण देव वश होकर बाजा बजाते हुए भटवाड़ी गांव जा रहा था तो रास्ते में तिलु विलु दो व्यक्ति मिले। उसने खेल में देववाणी के माध्यम से कहा कि यह आदी गणेश का चण्डीश्वर रूप है। इसी से देवता चंडोही के नाम से विख्यात हुए।

विशेष बात यह है कि भटवाड़ी गांव में अन्य किसी देवता का प्रवेश नहीं होता है और इसे नरोल गांव भी कहा जाता है। इस संदर्भ को भगवान गणेश द्वारा माता पार्वती को दिए वचन अनुसार भगवान शिव के रोकने से जोड़ा गया है। देवता के मंदिर में भी एक कोने में माता पार्वती पर्दे के पीछे विराजमान हैं। यहां आज भी भद्दी भाषा का प्रयोग तथा नशीले पदार्थों का सेवन वर्जित है। गांव में खड़ी बुनाई तथा बुनाई वाली चारपाई भी वर्जित है। देवता के नाम को वैदिक मंत्रों में विदित चण्डीश्वर से भी जोड़ा जाता है। बजौरा से बदार क्षेत्र की मुख्य देवी माता तुंगा के मंदिर स्थान में भी केवल देव चण्डोही का ही प्रवेश मान्य है। भटवाड़ी गांव में स्थित देव चण्डोही का मंदिर पैगोडा शैली में निर्मित है। इसका निर्माण काल राजा बानसेन के शासनकाल में सन् ई. 1343-44 का माना जाता है।

काष्ठ कला का अनूठा नमूना यहां देखने को मिलता है। किंवदंती है कि राजा रणजीत सिंह के सेनापति जोरावर सिंह ने सैनिकों को इस मंदिर को गिराने का आदेश दिया था और जब लकड़ी पर आरा चलाना शुरू किया तो मंदिर के गर्भगृह के दरवाजे पर बने नाग प्रत्यक्ष प्रकट हो गए और उनसे डर कर आक्रांता वहां से भाग गए भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को यहां देव भंडार से | खारे एवं देवरथ की यात्रा आरंभ होती है मंदिर में अग्निकुंड की परिक्रमा उपरांत अन्य दिनों में पराशर, ढांगसी तथा दियूणधार होते हुए निहलू एवं रेवकल गांव के उपरांत त्रयोदशी को प्राकट्य स्थल ओडीधार पहुंचती है जहां चतुर्दशी को वैदिक विधि से विसर्जन होता है।

Naman Sharma

not a professional historian or writer, but I actively read books, news, and magazines to enhance my article writing skills

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