Shri Parashar Rishi Temple Mandi Complete Story

Naman

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Shri Parashar Rishi Temple beautiful nature

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पराशर ऋषि Prashar Rishi की प्राचीन कोठी मंडी से लगभग 45 कि.मी. दूर औट तहसील के बाहन्दी गांव में स्थित है, जबकि मंदिर व झील जिला मुख्यालय से लगभग 50 कि.मी. दूर कटौला होकर जाने वाले मार्ग पर पराशर नामक स्थान पर है जो कि एक प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल भी है। ब्रह्म ऋषि विशिष्ठ के पौत्र, शक्ति मुनि के पुत्र, वेद व्यास जी के पिता महाऋषि पराशर Maharishi Prashar की रमणीय तपोभूमि

समुद्र तल से लगभग नौ हजार फीट की ऊंचाई पर पर्वतमालाओं के मध्य गोलाकार झील के रूप में अवस्थित है। इस झील में दैवीय शक्ति से एक भूखण्ड (टाला) तैरता रहता है और झील के किनारे काष्ठ कला के अनुपम उदाहरण स्वरूप पराशर ऋषि Prashar Rishi का पैगोडा शैली में निर्मित प्राचीन मंदिर स्थित है।

Shri Parashar Rishi Temple
Shri Prashar Rishi Temple

History of Parashar Rishi Temple

किंवदंती के अनुसार महाभारत युद्ध के पश्चात पाण्डवों सहित अनेकों ऋषि मुनि बैराग्य को प्राप्त कर शांति प्राप्ति की इच्छा से उत्तर भारत के पर्वतीय स्थानों की ओर प्रस्थान कर गए। पाण्डवों के वंशवर्द्धक महर्षि पराशर Prashar Rishi भी अनेकों जगह प्रवास करने के उपरांत यहां झील के किनारे पहुंचे तथा उन्होंने इसी रमणीय, नयनाभिराम व आलौकिक स्थान को अपना निवास चुना और सपत्नीक यहां रहने लगे। देवी मलस्य गन्धा (मछोदरी) पराशर के पश्चिम में मझौली नामक स्थान पर एकान्त वास करती हैं।

Shri Parashar Rishi Temple sarovar
Shri Parashar Rishi Temple sarovar

Festival & Fair

पराशर को सनोर, बदार तथा इलाका उत्तरशाल की देव संस्कृति का केंद्र माना जाता है। मेला काशी, सरनाहुली तथा पांजो (ऋषि पंचमी) यहां के तीन मुख्य व प्रसिद्ध मेले हैं। इन मेलों तथा वर्ष के अन्य त्यौहारों पर उपरोक्त तीनों क्षेत्रों के देवी-देवता ऋषि पराशर के यहां अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं। मान्यता है कि दैविक शक्ति प्राप्त करने एवं रोग-व्याधियों के निवारण के लिए अकसर क्षेत्र के देवी-देवता यहां आते रहते हैं। श्रद्धालु भी यहां आकर पुत्र प्राप्ति तथा अन्य मन्नतें लेकर आते हैं।

Final Words

पराशर ऋषि Prashar Rishi की पूर्ण व्यवस्था बाहन्दी गांव से संचालित होती है। इस गांव से लोग काशी व ऋषि पंचमी के अवसर पर विशेष रथ (खारा) लेकर पैदल ही शोभा यात्रा के रूप में पराशर झील व मंदिर तक पहुंचते हैं। ऋषि आदेश लोगों को सर्वमान्य है और उनकी कोठी व स्थान पर धूम्रपान व मंदिरा पान निषेध है जिसका सभी पालन करते हैं।

Source: Dev Gatha mandi shivratvi 2018

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Naman

not a professional historian or writer, but I actively read books, news, and magazines to enhance my article writing skills

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