श्री देव माहूंनाग का मंदिर मंडी जिला मुख्यालय से 11 कि.मी. दूर बल्ह तहसील के टिक्कर गांव में है।
कहा जाता है कि एक ब्राह्मण स्वप्न में देवता ने दृष्टांत दिया कि देव माहूंनाग लोगों की आधि-व्याधि, सर्प, बिच्छू आदि के विष से रक्षा करने के लिए तरौर के बाद गुटकर में भी अपना प्रादुर्भाव करना चाहते हैं व दूसरा स्थान बनाना चाहते हैं। दृष्टांत के उपरांत खेत में देवता की पिंडी रूप में एक मूर्ति व शिवलिंग मिला। यह स्थान गुटकर में था, जहां मंदिर का निर्माण किया गया। कुछ समय बाद देवता की इच्छानुसार उस पिंडी की स्थापना गुटकर से 2-3 कि.. मी. दूर टिक्कर गांव में की गई जहां पर देवता की कोठी व भण्डार है।
देवता का मेला चैत्र प्रविष्टे 25 को गुटकर में व वैशाख प्रविष्टे 27 को टिक्कर में लगता है। इसके अतिरिक्त सभी त्योहारों पर देवता की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि जो भी भक्त देवता की सच्चे दिल से सेवा व सुखना करता है, देवता उसकी आधि-व्याधि से रक्षा करता है तथा मनवांछित फल देते हैं। देवता सर्प, भय व सर्प दंश के विष से मुक्ति दिलाते हैं। मनोकामना पूर्ण होने पर लोग बाजे-गाजे लेकर अपने रिश्तेदारों के साथ मंदिर जाकर देवता को इच्छानुसार भेंट चढ़ाते हैं।