Importance of bda dev Kamrunag in mandi shivratri

श्री देव कमरूनाग(Kamrunag) का मंदिर तहसील चच्योट के गांव गोत में स्थित है। यह मंडी से सड़क मार्ग द्वारा 70 किलोमीटर तथा पगडण्डी द्वारा 60 किलोमीटर है। श्री देव कमरूनाग (Kamrunag) की स्थापना पांडवों द्वारा की गई मानी जाती है। पांडवों के ठाकुर हैं कमरूनाग

History of kamrunag in hindi

bda dev Kamrunag को जहां मंडी जनपद में वर्षा देने वाला देवता और रियासत का बड़ादेव का दर्जा प्राप्त है। वहीं पर इन्हें पांडवों के ठाकुर के रूप में भी जाना जाता है। कहा जाता है कि वनवासी पांडवों ने ही इस जगह पर बड़ादेव कमरूनाग(Kamrunag) की स्थापना की थी। जनश्रुति के अनुसार पहाड़ी राजा रत्नयक्ष भी महाभारत के युद्ध में शामिल होना चाहते थे। मगर उनकी शर्त यह थी कि वे उसी पक्ष का साथ देंगे जो युद्ध में हार रहा होगा और वे अपनी शक्ति से हारे हुए युद्ध को जीत कर दिखा देंगे।

महाभारत के सूत्रधार रहे भगवान श्रीकृष्ण को जब इस बात का पता चला तो वे साधारण ग्वाले के वेश में राजा रत्न यक्ष की परीक्षा लेने निकल पड़े। रास्ते में उनका सामना रत्नयक्ष से हुआ तो पूछा -महाराज आप कहां जा रहे हैं। राजा रत्न यक्ष ने कहा कि मैं महाभारत के युद्ध में शामिल होने जा रहा हूं। ग्वाले ने फिर सवाल किया कि आप किसके पक्ष से लड़ेंगे।


तो रत्नयक्ष ने कहा जो पक्ष हार रहा होगा उसी पक्ष की ओर से ये पहाड़ी राजा रत्नयक्ष लड़ेगा। हमारा धर्म बल उस पक्ष को विजयी बनाएगा। ग्वाले ने फिर पूछा इसका प्रमाण क्या है। श्रीकृष्ण ने कहा कि जो सामने पीपल का पेड़ है यदि आप एक ही तीर से उसके पत्ते बींध देंगे तो मैं आपकी बात पर विश्वास कर सकता हूं। राजा रत्न यक्ष ने तीर चलाया और सारे पत्ते बींध दिए। एक पत्ता श्रीकृष्ण ने अपने पांव के नीचे दबा रखा था। रत्न यक्ष ने कहा पैर हटाओ नहीं तो तीर से बींध जाएगा। तीर ने वह पत्ता भी बींधा और तरकस में आ गया। श्रीकृष्ण ने धोखे से मांगा रत्नयक्ष का सिर

राजा रत्न (Kamrunag) का पराक्रम देख श्रीकृष्ण परेशान हो गए, अगर यह कौरवों के पक्ष से लड़ा तो उनकी जीत सुनिश्चत है। जब रत्नयक्ष जाने लगा तो ग्वाले कहा महाराज मुझे एक चीज तो दो। जल्दी कहो क्या चाहते हो राजा ने कहा मुझे देर हो रही है। पहले वचन दो महाराज । ग्वाले ने कहा । रत्न यक्ष ने सोचा ग्वाला है क्या मांग लेगा, उन्होंने हामी भर दी।

इस पर ग्वाले ने कहा -महाराज मैं आपका सिर चाहता हूं। रत्नयक्ष चौका और समझ गया कि यह पांडवों के पक्षधर श्रीकृष्ण की चाल है। श्रीकृष्ण से कहा कि आप मेरा सिर ले लीजिए पर महाभारत देखने की मेरी बहुत इच्छा है। महाभारत के दौरान श्रीकृष्ण ने रत्नयक्ष का सिर ऊंचे बांस पर टांग दिया। वहीं बड़ादेव कमरूनाग(Kamrunag) को महाभारत के योद्धा रत्नयक्ष से जोड़ा जाता है।

Final words

Source: Dev Gatha mandi shivratvi 2018

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