Hurang Narayan temple mandi Complete story

Hurang Narayan temple situated in पधर तहसील के अंतर्गत चौहार घाटी के बीचों-बीच स्थित हुरंग गांव में देवता का वास है। शिल्हबुधाणी के घने देवदारों के बीच से देखने पर देवता मंदिर व गांव अत्यंत रमणीक व मनमोहक नजारा पेश करता है। मंडी जिला मुख्यालय से लगभग 66 कि.मी. दूर यह गांव व देव स्थल स्थित है। पहले सुधार से आगे पैदल चलना पड़ता था, मगर अब जीप योग्य सड़क मार्ग निर्मित हो चुका है।

Hurang Narayan की कोठी या मूल स्थान भराड़ी कांपना में ऐतिहासिक स्थल है। मान्यता के अनुसार श्री देव हुरंग नारायण Hurang Narayan सर्वप्रथम मानद रूप में नौहल से गुवाहन आए और वहां गऊएं चराते थे। उसके बाद नारला आए और हिमरी गंगा तथा घोघराधार में गऊएं चराने लगे। वहां एक बुजुर्ग गऊ माता के साथ रहता था, मगर वहां पानी की किल्लत के कारण उसे ऊहल नदी की ओर जाना पड़ता था । हुरंग नारायण अपनी गऊओं को बाहर पानी पिलाने नहीं ले जाता था जिससे उस बुजुर्ग के मन में उत्सुकता हुई कि आखिर वह कहां इनकी प्यास बुझाता है।

हुरंग नारायण Hurang Narayan हिमरी गंगा में अपनी छड़ी से वार करके पानी की धारा निकालता और वहीं गऊएं पानी पीती थी, मगर यह राज किसी को पता नहीं था। उस बुजुर्ग ने एक दिन हुरंग नारायण का पीछा किया और यह सब बातें जान लीं। परिणाम यह हुआ कि नारायण वहां से लुप्त हो गए और हिमरी गंगा में निकली वह जलधारा आज भी निर्वात बहती रहती है।

image of hurang narayan
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History of Hurang Narayan in hindi

कहा जाता है कि इसके बाद हुरंग नारायण Hurang Narayan स्वाड़ गांव पहुंच कर वहां बच्चों के साथ गाएं चराने लगे। वहां शील्ह तथा फरेहड़ के बच्चे भी गऊएं चराने आते थे। एक दिन वहां भी बच्चों में झगड़ा हो गया तो नारायण वहां से लुप्त होकर हुरंग गांव में प्रकट हुए। मान्यता के अनुसार हुरंग में एक बुजुर्ग कुम्हार घड़े बनाने का कार्य करता था

एक दिन वह जंगल तथा खेत से किरडु (पीठ पर उठाने वाला टोकरा ) में मिट्टी लाया तो उसमें से बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। इस पर उसकी पत्नी ने डांटा कि आप किसके बच्चे को साथ ले आए। मिट्टी में देखने पर उसमें अष्टधातु की एक मूर्ति उसे मिली। बुजुर्ग चिंतित रहने लगा कि आखिर बच्चा कौन था और अब कहां चला गया, कहीं उसके साथ कोई अनिष्ट तो नहीं घटा है।

एक दिन उसे स्वप्न में देववाणी हुई कि वह बच्चा न तो मरा है और न ही कहीं विलुप्त हुआ है। वह कृष्ण रूप था और अदृश्य हो गया है। उन्होंने कहा कि आज से उस बुजुर्ग के घर में ही नारायण का वास होगा और हुरंग नारायण Hurang Narayan के रूप में उन्हें पूजा जाएगा। साथ ही यह भी कहा कि धूप बत्ती से मेरी पूजा कर उस पर टोकरी रख देना। बुजुर्ग ने उसी विधि से पूजा आरंभ की तो वहां एक मोहरा प्रकट हो गया। उसके उपरांत गांव के साथ

Final words

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