देवी मन्दोदरी का मंदिर गांव पराशर, डाकघर बाहन्दी में है। जिला मुख्यालय से लगभग 50 कि0मी0 दूर प्रकृति की गोद में एक सुरम्य स्थान पर माता का छोटा सा मंदिर हैं। यह मंदिर पराशर ऋषि के मंदिर से लगभग डेढ़ कि.मी. की दूरी पर है।
माता मन्दोदरी को खेवट कन्या माना जाता है जो पराशर ऋषि की पत्नी व व्यास ऋषि की माता हैं जिनका दूसरा नाम सत्यावती है।
किंवदंती है कि एक बार पराशर ऋषि जब प्रवास पर थे तो उस दौरान वे देवी मन्दोदरी के रूप पर मोहित हो गए और देवी से प्रणय का आग्रह किया। देवी ने कहा मैं एक निषाद कन्या हूं और कुंवारी हूं और आप एक ऋषि हैं। यह कैसे संभव है। इस बात पर ऋषि पराशर ने कहा चिंता मत करो, प्रणय उपरान्त भी तुम कुंवारी रहोगी और तुम्हारे शरीर की यह गंध भी सुगन्ध में परिवर्तित हो जाएगी। ऋषि के योग बल से घना कोहरा छाया और दोनों का प्रणय हुआ तथा ऋषि का जन्म हुआ। आज भी इस स्थान पर बरसात में इतना घना कोहरा पडता है कि पैर का अंगूठा भी दिखाई नहीं देता।
मान्यता है कि ऋषि पराशर के मंदिर जो कन्याएं सुयोग्य पति और जो महिलाएं पुत्र की प्राप्ति की कामना करती हैं, यह माता मन्दोदरी उनकी गोद यथायोग्य फल से भर देती है।