श्री देव टिकरू बालाकामेश्वर, बल्ह

देव बालाकामेश्वर का मंदिर बल्ह तहसील के गांव टिक्कर जिला मंडी में है। जिला मुख्यालय से इसकी दूरी करीब 8 कि. मी. है और मुख्यालय से मंदिर तक पक्की सड़क बनी हुई है। श्री देव बालाकामेश्वर प्राचीन देवताओं में से एक हैं और रियासत ...

By Naman

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देव बालाकामेश्वर का मंदिर बल्ह तहसील के गांव टिक्कर जिला मंडी में है। जिला मुख्यालय से इसकी दूरी करीब 8 कि. मी. है और मुख्यालय से मंदिर तक पक्की सड़क बनी हुई है।

श्री देव बालाकामेश्वर प्राचीन देवताओं में से एक हैं और रियासत काल से देवता का नाम प्रमुखता में रहा है। कहा जाता है कि देवता चार-पाँच सौ साल पहले पिंडी रूप में प्रकट हुए थे। रियासत काल में जब गऊएं घास चरने जाती तो बेर की झाड़ियों के पास खड़े होकर अपने आप थनों से दूध छोड़ देती थी। जब गांव वालों को इस बात का पता चला तो उन्होंने झाड़ियां साफ की और देखा कि वहां देवता की पिंडी प्रकट हुई है। जब इस बात की जानकारी राजा को मिली तो राजा ने पिंडी की परीक्षा लेने के लिए एक चांदी का कड़ा डाला, जो पिंडी में लिप्त हो गया और पिंडी बड़ी हो गई।

temple of dev tikkru bala kameswar
temple of dev tikkru bala kameswar

देव बाला कामेश्वर को 18 व्याधियों का भण्डारी माना जाता है। दंतकथा के अनुसार एक बार रियासत के समय भयंकर बीमारी पड़ी जिसे रोकने के लिए राजा द्वारा काफी प्रयत्न किये गए थे। परंतु बीमारी नहीं रुकी और बाद में श्री देव बाला कामेश्वर टिकरु को बुलाया गया जो उस समय एक मोहरे के रूप में करंडी में थे। जब देवता की करंडी मंडी पहुंची तो गूर ने देवता के माध्यम से बीमारी की रोकथाम की। इस शक्ति को देखते हुए देवता को राजा द्वारा सम्मान दिया गया। यह देवता स्वयंभू के रूप में प्रचलित हैं और व्याधियों के मालिक माने जाते हैं।

Source: Dev Gatha Mandi Shivratri

tikkru bala kameswar
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Naman

not a professional historian or writer, but I actively read books, news, and magazines to enhance my article writing skills

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