Mahunag Temple: Legendary Abode of Danveer Karna

माहूँनाग मंदिर, हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की करसोग तहसील में स्थित, एक पवित्र स्थल है जिसे दानवीर कर्ण के अवतार के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर न केवल अपनी धार्मिक महिमा के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इससे जुड़ी पौराणिक कथाओं और ...

By Naman

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माहूँनाग मंदिर, हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की करसोग तहसील में स्थित, एक पवित्र स्थल है जिसे दानवीर कर्ण के अवतार के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर न केवल अपनी धार्मिक महिमा के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इससे जुड़ी पौराणिक कथाओं और चमत्कारी घटनाओं के लिए भी जाना जाता है। माना जाता है कि माहूँनाग ने सुकेत के राजा श्याम सेन को मुग़ल कैद से मुक्त किया था और आज भी यह स्थल भक्तों के लिए असीम श्रद्धा और आस्था का केंद्र बना हुआ है। हर साल यहाँ बड़ी धूमधाम से रथ यात्रा और मेले का आयोजन होता है।

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देवभूमि हिमाचल जंहा के कण कण में देवताओं का निवास है। इन देवी देवताओं के मंदिर अपने अंदर भारत के इतिहास और भक्तों की आस्था को समेटे हुए हैं। ऐसा ही है सुकेत का माहूँनाग (Mahunag) का मंदिर है जो कि जिला मंडी की तहसील करसोग में स्थित है। माहूँनाग मंदिर करसोग से 37 किलोमीटर और सुंदर नगर से 90 किलोमीटर की दूरी पर है। मूल माहूँनाग (mool mahunag)का मुख्या मंदिर बखारी कोठी ग्राम पंचायत सवामाहूं तहसील करसोग में है। इतना ही नहीं माहूँनाग के मंडी जिले में बहुत सारे मंदिर है जिनमें से मुख्य स्थान श्री मूल माहूँनाग बखारी जी है

The Incarnation of Danveer Karna

मांहूनाग को दानवीर कर्ण का अवतार माना जाता है। देव  श्री बड़ेयोगी जी ततापानी माहूँनाग के गुरु और कुल पुरोहित माने जाते हैं। महाभारत के युद्ध में अर्जुन ने छल से कर्ण का वध तो कर दिया लेकिन अर्जुन कर्ण को मारने के बाद ग्लानी से भर गया। कहा जाता है कि अर्जुन ने अपने नाग मित्रों कि सहायता से कर्ण के शव को लाकर सतलुज के किनारे ततापानी के पास अंतिम संस्कार किया था। उसी चिता से एक नाग प्रकट हुआ। वह नाग इसी जगह बस गया। इसी नाग देवता को लोग आज भी माहूँनाग के रूप में पूजते हैं।

माहूँनाग के बारे में माना जाता है कि एक बार सुकेत के राजा श्याम सेन को मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने छल से दिल्ली में कैद कर लिया। वह सुकेत को अपने राजा के अधीन करना चाहता था। सुकेत के राजा श्याम सेन ने कैद से मुक्ति पाने के लिए कई देवी- देवताओं को याद किया। लेकिन कैद से निकल नहीं पाया। तब राजा ने नागराज कर्ण का स्मरण किया। माहूँनाग ने राजा को मधुमक्खी के रूप में दर्शन दिए और जल्दी ही कैद से छूटने की बात कही।

History of Mahunag in Hindi

राजा ने कहा कि अगर वह कैद से मुक्त हो जाएगा तो वह अपना आधा राज्य राजा कर्ण माहूँनाग को समर्पित कर देगा। इसके बाद मुग़ल सम्राट को शतरंज खेलने कि इच्छा हुई लेकिन उसे खेलने के लिए कोई खिलाड़ी नहीं मिला। तब उसने राजा श्याम सेन को खेलने के लिए कैद से मुक्त किया। उस दिन राजा श्याम सेन शतरंज में जीतता गया और अंत में उसने अपने मुक्त होने कि बाज़ी जीत ली साथ ही अपने राज्य कि ओर चल पड़ा।

temple of dev shree mool mahunag ji
temple of dev shree mool mahunag ji

अपने वचन के अनुसार राजा ने माहूँनाग को अपना आधा राज्य और कुछ ग्राम चांदी हर साल नजराना देना तय किया। किन्तु माहूँनाग ने इतना बड़ा क्षेत्र नहीं लिया और केवल माहूँनाग क्षेत्र का सीमित भूभाग ही लिया। माहूँनाग स्वर्ण दान तो करते हैं पर स्वर्ण श्रृंगार नहीं करते। माहूँनाग मंदिर में सवा किलो सोने का मेहरा है और चांदी के 8 छत्र हैं।

The Rath Yatra and Fairs of Mahunag Temple

चैत्र मास के नवरात्रों में हर साल लगभग एक मास कि रथ यात्रा माहुँनाग सुंदरनगर क्षेत्र के लोक कल्याण हेतु करते हैं। जिसने देवता का रथ गुर, पुजारी, मेहते कारदार, बजंत्री और श्रद्धालु साथ चलते हैं। ज्येष्ठ मास कि सक्रांति से 5 दिवसीय मेला बागड़दड में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। इस मेले के इतिहास का संबंध हिमाचल में अंग्रेजी शासन से है। माहूँनाग के गुर को परीक्षा के लिए सतलुज में छलांग लगा कर सुखी रेत निकालनी पड़ती है। माहूँनाग मंदिर में भक्तगण दूर दूर से अपनी मन्नतें पूरी होने पर इस मंदिर आते हैं।

Frequently asked Question

मांहुनाग देवता कौन है ?

मांहुनाग देवता का मंदिर हिमाचल प्रदेश की सुंदर पहाड़ियों में बसा बखारी कोठी गांव स्थानीय लोगों का श्रद्धा का केंद्र है । देवता जी को कलयुग में महूनाग जी का अंश अथवा अवतार के रूप में जाना जाता है । मान्यताओं के अनुसार श्री मूल मांहूनाग जी महाभारत काल का योद्धा माना जाता है । और इसके अलावा बहुत सारी कथाएं लोगों के द्वारा विद्यमान है।

मांहुनाग मंदिर कहां स्थित है और इसकी दूरी कितनी है ?

मूल मांहुनाग जी का मंदिर मंडी जिला के करसोग तहसील के बखारी कोठी नामक स्थान पर स्थित है। गूगल मैप के द्वारा श्री मूल मांहूनाग मंदिर की दूरी सुंदरनगर से 85 किलोमीटर दूर है । जिसमें 3:18 घंटे के आसपास का समय बताया जाता है ।और शिमला से 95 किलोमीटर दूर बताई जाती है । जहां पहुंचने के लिए गाड़ी के द्वारा 3 घंटे 26 मिनट का समय बताया जाता हैजी का मंदिर मंडी जिला के करसोग तहसील के बखारी कोठी नामक स्थान पर स्थित है। गूगल मैप के द्वारा श्री मूल मांहूनाग मंदिर की दूरी सुंदरनगर से 85 किलोमीटर दूर है । जिसमें 3:18 घंटे के आसपास का समय बताया जाता है ।और शिमला से 95 किलोमीटर दूर बताई जाती है । जहां पहुंचने के लिए गाड़ी के द्वारा 3 घंटे 26 मिनट का समय बताया जाता है माहूँनाग मंदिर करसोग से 37 किलोमीटर और सुंदर नगर से 90 किलोमीटर की दूरी पर है।

Conclusion

अंत में, माहूँनाग मंदिर की यह कथा हिमाचल की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और आस्था को दर्शाती है। देवभूमि के इस पवित्र स्थल पर कर्ण की दानवीरता और उनकी महिमा आज भी जीवंत है। माहूँनाग की कहानी केवल एक धार्मिक कथा नहीं, बल्कि विश्वास और समर्पण की मिसाल है। यहां हर साल आयोजित होने वाली रथ यात्रा और मेले में दूर-दूर से भक्त आते हैं, जो देवता की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस स्थान की पवित्रता को मानते हैं। माहूँनाग मंदिर आस्था और इतिहास का एक अद्वितीय संगम है।

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Naman

not a professional historian or writer, but I actively read books, news, and magazines to enhance my article writing skills

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