देव सत्त बाला कामेश्वर, देवधार

Naman

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bala kameswar devdhar
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मंडी जिला मुख्यालय से करीब आठ किलोमीटर दूर तल्याहड़ पंचायत के मानथला गांव के देवधार नामक स्थान पर देव बाला कामेश्वर का मंदिर और भंडार स्थित है। देवता का भंडार सड़क से मात्र दो सौ मीटर की दूरी पर स्थित है। लोक गाथा के अनुसार देव सत्त बाला कामेश्वर रियासत काल में सन् 1526 ई. में प्रकट हुए हैं। कहते हैं इस स्थान पर बालक

अपने पशुओं को चराने आया करते थे। पशुओं को चराने के दौरान बालक आपस में खेल रहे होते तो वहाँ एक बालक आया करता था। वह कशमले के पौधे की लकड़ी की तलवार बनाता और खेल-खेल में एक भेड़ को पकड़ कर उसका सिर धड़ से अलग कर देता। जब बालक रोने लगते तो वह कटे हुए सर को धड़ से जोड़ कर उसे जीवित कर देता। कई दिनों तक यह खेल चलता रहा। एक दिन उनके घरवालों ने देखा कि एक भेड़ की गर्दन पर खून लगा हुआ है। जब बालकों से इस बारे तहकीकात की गई तो उन्होंने सारा वृतांत सुनाया। घरवालों ने कहा कि हमें उस बालक के पास ले चलो। मगर वहां पहुंचने पर वह बालक दिखाई नहीं दिया। लेकिन बान के वृक्ष से एक प्रतिमा मिली। इसी दौरान गांव वासियों में से एक व्यक्ति को खेल आ गई। उसने बताया कि मैं बड़ादेव कमरूनाग का सातवां पुत्र हूं और

मेरा नाम बाला टीका है। तब से लेकर देव बाला कामेश्वर यहीं पर विराजमान हैं। देव बाला कामेश्वर की जाग पत्थर चौथ के दौरान आयोजित की जाती है। इस दौरान देवता के गुर और चेले आवेश में आकर देव खेल करते हैं।

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Naman

not a professional historian or writer, but I actively read books, news, and magazines to enhance my article writing skills

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