देवता बालाकामेश्वर का मूल स्थान गांव चण्डेह में है। कोठी/भण्डार भी चण्डेह, डाकघर कोटमोर्स, तहसील सदर, मण्डी है। जिला मुख्यालय मंडी से मन्दिर पहुंचने के लिए लगभग 23 कि० मी० सड़क व 200 मीटर पैदल पक्के रास्ते की दूरी तय करनी पड़ती है।
गांव के बुजुर्गों के अनुसार वर्षों पहले चण्डेह में लोग पीने के लिए पानी गागर में भर कर लाते थे। एक दिन पानी भरते- भरते एक व्यक्ति के पलटूह यानि गागर में पानी के साथ एक मोहरा आ गया। उस व्यक्ति ने यह मोहरा अपने घर लाया और अन्य लोगों को भी बताया। तभी अचानक किसी व्यक्ति की देह में देवता प्रवेश कर गए व अपनी पूरी कहानी बताई कि मैं देव बालाकामेश्वर चण्डेहिया हूँ। फिर लोगों ने गांव में ही देवता की स्थापना की। इसी के चलते इस गांव का नाम चण्डेह पड़ गया, जो आज भी है। देवता की शक्ति बहुत तत्काल है। यदि किसी व्यक्ति के शरीर में कोई बुरी आत्मा प्रवेश कर जाए तो देवता उसे निकालने के लिए माहिर माने जाते हैं और पीड़ित ठीक हो जाता है।
Source : Dev Gatha mandi