सोमेश्वर महादेव जी का मूल स्थान तिब्बत के भेखड़-भराड़ नामक स्थान माना जाता है, परंतु देवता उस स्थान से सोमाकोठी नामक स्थान पर विराजमान हुए। जो मंडी जिले में आता है। यहाँ का धार्मिक वातावरण और ऐतिहासिक महत्व हर आगंतुक को एक अनोखा आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।
Table of Contents
Someshwar Mahadev history in Hindi
तिब्बत से सोमाकोठी आने के कारण इस प्रकार कहा जाता है कि राजा नौंजा का प्रजा पर अत्याचार एवं क्रूरता जिसे सोमशी सहन नहीं कर सका। राजा नौंजा के राज्य को अपनी शक्ति से भस्म की ढेरी में बदल कर अपने आप उस स्थान को छोड़ हिमाचल देवभूमि के सुंबली नामक गांव में प्रकट हो गए, वहां पर भी कुछ समय बीत जाने के बाद न जाने किस कारण सुंबली से डिबरा बाई होते भमार ढोर नामक स्थान से होते हुए गरजुब में एक देवदार वृक्ष के नीचे आराम किया उसके बाद करसोग देलग नामक गांव में ब्राह्मण के एक खेत में हल चलाते समय मिट्टी से प्रकट हुए,
जिसके फलस्वरूप देलग में एक गरीब ब्राह्मणी वंश में एक ही अकेली औरत को स्वप्र में पूरा हवाला बता कर मंदिर का निर्माण करने को कहा। उस ब्राह्मणी ने प्रजा को बताया और लोगों ने हजारों वर्ष पूर्व महाभारत काल में मंदिर का निर्माण किया, जहां देव शुमी की स्थापना हुई और तब से देव शुमी के नाम से जानने लगे। इसके बाद इस स्थान का नाम भी सोमाकोठी ही रखा गया। अपनी शक्ति से देव सोमी ने इलाका रामगढ़ जिसमें छह पंचायतें हैं तथा इलाका चौरासी गढ़ जिसमें भी छह पंचायतें हैं।
इसमें भी देवता ने अपनी शक्तियों का आभास करवाया देवता ने अपनी शक्ति से कई मंदिरों के देव कार्य करने के अधिकार अपनी कार्यक्षेत्र में रखे हैं, जो आज भी ममलेश्वर महादेव मंदिर नाग धुमनी, तेबनी महादेव, बैंशी महादेव आदि मंदिरों में मौजूद हैं। देओ शोमी का वर्णन शिव महापुराण में श्री सोमेश्वर महादेव के नाम से है। इनका पुरात्तन प्रमाण शिव महापुराण के श्लोकों में वर्णित है।