History of chamahu nag
एक ब्राह्मण जब नहाने गया तो वहाँ उसे बड़ा सर्प मिला, जिसने फन उठाकर कहा कि वह शेषनाग है। उसे पूजोगे तो सुख-संपत्ति मिलेगी । ब्राह्मण ने पूजा-अर्चना आरंभ की,मंदिर बनवाया। यहाँ चैत्र तथा बैसाख नवरात्रों, माघ-फागुन में मेले लगते हैं। आषाढ़ में व्यास पूजा, भादों में नाग पंचमी मनाई जाती है।
Chamahun Nag Temple Badagrah
छमाहूँ नाग Chamahun Nag का मंदिर बड़ाग्रॉ, तहसील बंजार में है। इसका गूर श्री चेतराम, कारदार श्री किशन सिंह तथा पुजारी श्री लोभूराम है। देवता का खड़ा रथ है, जिसका शीर्ष भाग छत्र से भूषित है। इसमें सात स्वर्णनिर्मित व पाँच अष्टधातु के मोहरे शोभायमान हैं।
History of Chamahu nag Badagrah in hindi
छमाहूँ नाग Chamahun Nag के प्रति लोगों की दो धारणाएँ प्रचलित हैं। कुछ लोग इसे षड़मुख (छह मुख वाला) देवता, भगवान् शिव का पुत्र कार्तिकेय स्वामी मानते हैं तथा कुछ लोग इसे शेषनाग मानते हैं। कहते हैं कि सबसे पहले यह सराजगढ़ में पैदा हुआ था। वहाँ इसने अपने बदन से दो नाग निकाले। इनमें से एक करथ नाग तथा दूसरा वासुकि नाग था। इन दोनों को डनोला नामक स्थान प्रदान करके स्वयं अपनी मान्यता इलाका पौलधी के बड़ाग्राँ में स्थापित की। देवता के यहाँ फाल्गुन व चैत्र मास में गढ़जात्रा, बैसाख मास में बैसाखी, नाहुली तथा शौईरी मनाई जाती है।
Chamahu Nag Temple Daliara
छमाहूँ नाग Chamahun Nag का मंदिर दलियाड़ा, कोठी बुंगा में स्थित है। इसके गूर श्री रामदास तथा श्री हुक्म सिंह, कारदार श्री निरत सिंह तथा श्री मोहन सिंह हैं। पुजारी श्री हुक्म सिंह तथा भंडारी श्री गुलाब सिंह हैं। देवता का छत्र से सुशोभित खड़ा रथ है। इसमें स्वर्णनिर्मित आठ मोहरे चारों ओर अलंकृत हैं।
History of Chamahu nag daliara in hindi
छमाहूँ नाग Chamahun Nag प्रथमतः सारी नामक स्थान में एक बुजुर्ग के सामने नाग रूप में प्रकट हुआ। उसने नाग की देवता रूप में पूजा शुरू की। धीरे-धीरे इसकी मान्यता दूर-दूर तक फैली। लोगों ने भिन्न-भिन्न स्थानों पर इसके मंदिर बनाए, जिनमें जिला सिराज के दलियाड़ा और पौलधी तथा जिला मंडी के धामण और खणी के मंदिर प्रमुख हैं। दलियाड़ा इसका मूल स्थान माना जाता है। इसे षड़मुख स्वामी कार्तिकेय भी माना जाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि षड़मुख से ही छमाहूँ शब्द की व्युत्पत्ति हुई है। देवता के वर्ष-भर में दस मेले लगते हैं।
Final words
Source: Himalya ki dev gatha